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हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं/जीवन

 

सिन्धु घाटी सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं

Table of Content

                1) हड़प्पा सभ्यता नगर में निर्माण एवं भवन निर्माण

                2)हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक जीवन-

                        3)हड़प्पा सभ्यता का आर्थिक जीवन

                4)हड़प्पा सभ्यता का कला का विकास-

                5)हड़प्पा सभ्यता की लिपि या लेखन कला

 

 हड़प्पा सभ्यता नगर में निर्माण एवं भवन निर्माण

याजेनाबद्ध नगरों एवं भवनों का निर्माण इस सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ विशेषता थी सभी प्रमुख नगर जिनमें हड़प्पा मोहन जोदड़ो, चन्हुदड़ो, लोथल तथा कालीबंगा सभी प्रमुख नगर नदियों के तट पर बसे थे इन नगरों में सुरक्षा के लिये चारो ओर परकोटा दीवार का निर्माण कराया जाता था प्रत्येक नगर में चौड़ी एवं लम्बी सड़के थी, चौड़ी सड़के एक दूसरे शहरों को जोड़ती थी सिन्धु घाटी सभ्यता में कच्चे पक्के, छोटे बड़े सभी प्रकार के भवनों के अवशेष मिले है भवन निर्माण में सिन्धु सभ्यता के लोग दक्ष थे इसकी जानकारी प्राप्त भवनावशेषों से होती है इनके द्वारा निर्मित मकानो में सुख-सुविधा की पूर्ण व्यवस्था थी भवनों का निर्माण भी सुनियोजित ढंग से किया जाता था प्रकाश व्यवस्था के लिये रोशनदान एवं खिड़कियां भी बनाई जाती थी रसोई घर, स्नानगृह, आंगन एवं भवन कई मंजिल के होते थे दीवार ईटो से बनाई जाती थी भवनो, घरों में कुंये भी बनाये जाते थे लोथल में ईटो से बना एक हौज मिला है

1. विशाल स्नानागार - मोहन जादे ड़ो में उत्खनन से एक विशाल स्नानागार मिला जो अत्यन्त भव्य है स्नानकुण्ड से बाहर जल निकासी की उत्तम व्यवस्था थी समय-समय पर जलाशय की सफाई की जाती थी स्नानागार के निर्माण के लिये उच्च कोटि की सामग्री का प्रयोग किया गया था, इस कारण आज भी 5000 वर्ष बीत जाने के बाद उसका अस्तित्व विद्यमान है

2. अन्न भण्डार - हड़प्पा नगर के उत्खनन में यहां के किले के राजमार्ग में दानेो ओर 6-6 की पक्तियॉं वाले अन्न भण्डार के अवशेष मिले है, अन्न भण्डार की लम्बाई 18 मीटर चौड़ाई 7 मीटर थी इसका मुख्य द्वार नदी की ओर खुलता था, ऐसा लगता था कि जलमार्ग से अन्न लाकर यहां एकत्रित किया जाता था सम्भवत: उस समय इस प्रकार के विशाल अन्न भण्डार ही राजकीय कोषागार के मुख्य रूप थे

3. जल निकास प्रणाली - सिन्धु घाटी की जल निकास की योजना अत्यधिक उच्च कोटि की थी नगर में नालियों का जाल बिछा हुआ था सड़क और गलियों के दोनो ओर ईंटों की पक्की नालियॉ बनी हुई थी मकानों की नालियॉं सड़को या गलियों की नालियों से मिल जाती थी नालियों को ईटो और पत्थरों से ढकने की भी व्यवस्था थी इन्हें साफ करने स्थान-स्थान पर गड्ढ़े या नलकूप बने हुये थे इस मलकूपों में कूडा करकट जमा हो जाता था और नालियों का प्रवाह अवरूद्ध नहीं होता था नालियों के मोडो और संगम पर ईंटों का प्रयोग होता था

हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक जीवन-

हड़प्पा जैसी विकसित सभ्यता एक मजबूत कृषि ढांचे पर ही पनप सकती थी हड़प्पा के किसान नगर की दीवारों के समीप नदी के पास मैदानों में रहते थे यह शिल्पकारों, व्यापारियों और अन्य शहर में रहने वालों के लिए अतिरिक्त अन्न पैदा करते थे कृषि के अलावा ये लोग बहुत सी अन्य कलाओं में भी विशेष रूप से निपुण थे घरों के आकारों में भिन्नता को देखते हुए कुछ विद्वानों का मत है कि हड़प्पा समाज वर्गो में बंटा था

1. भोजन - हड़प्पा संस्कृति के लागे भोजन के रूप में गेहूँ, चावल, तिल, मटर आदि का उपयोग करते थे लोग मांसाहारी भी थे विभिन्न जानवरों का शिकार कर रखते थे फलो का प्रयोग भी करते थे खुदाई से बहुत सारे ऐसे बर्तन मिले है, जिनसे आकार एवं प्रकार से खाद्य पेय सामग्रियों की विविधता का पता लगता है पीसने के लिये चक्की का प्रयोग करते थे

2. वस्त्र --सिन्धु घाटी के निवासियों की वेष भूषा के सम्बन्ध में कहा जाता है कि महिलायें घाघरा साड़ी एवं पुरुष धोती एवं पगड़ी का प्रयोग करते थे स्वयं हाथ से धागा बुनकर वस्त्र बनाते थे।

3. आभूषण एवं सौंदर्य प्रसाधन:- स्त्री, पुरुष दोनों आभूषण धारण करते थे आभूषणों में हार कंगन, अंगूठी, कर्णफूल, भुजबन्ध, हंसली, कडे, करधनी, पायजेब आदि विशेष उल्लेखनीय है कई लड़ी वाली करधनी और हार भी मिले है आभूषण सोने, चॉदी, पीतल, तांबा, हाथी दांत, हड्डियों और पक्की मिट्टी के बने होते है अमीर बहुमूल्य धातुओं और जवाहरातों के आभूषण धारण करते थे स्त्री पुरुष दोनों श्रृंगार प्रेमी थे धातु एवं हाथी दांत की कंघी एवं आइना का प्रयोग करते थे केश विन्यास उत्तम प्रकार का था खुदाई से काजल लगाने की एवं होंठों को रंगने के अनेक छोटे-छोटे पात्र मिले हैं

हड़प्पा संस्कृति के आभूषण

4. मनोरंजन - सिन्धु सभ्यता के लोग मनोरंजन के लिये विविध कलाओं का प्रयोग करते थे जानवरों की दौड़ शतरंज खेलते थे, नृत्यांगना की मूर्ति हमें हड़प्पा संस्कृति में नाच गाने के प्रचलन को बताती है मिट्टी एवं पत्थर के पांसे मिले है

5. प्रौद्योगिकी ज्ञान -सिन्धु सभ्यता के लोगों का भवन निर्माण, विशाल अन्न भण्डार जल निकासी व्यवस्था, सड़क व्यवस्था देखकर उनकी तकनीकी ज्ञान बहुत रहा होगा, ऐसा अनुमान लगाया जाता है, वे मिश्रित धातु बनाना जानते थे, उनकी मूर्तियां एवं आभूषण बहुत खूबसूरत थे।

6. मृतक कर्म - इस काल में भी शवों के जमीन में दफनाया जाता था शवों के साथ पुरा पाषाण काल के समान भोजन, हथियार, गृह-पात्र तथा अन्य उपयोगी वस्तुएँ भी साथ में रख दी जाती थी मृतकों की कब्रों के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर भी रख दिये जाते थे, जिनको रखने का मुख्य उद्देश्य मृतकों को सम्मान देना था कुछ स्थलों पर शवो को जलाने की प्रथा का भी प्रचलन हो गया था जब शव जल जाता था तो उसकी राख को मिट्टी के बने घड़ों में रखकर सम्मान के साथ जमीन में गाड़ दिया जाता था

7. चिकित्सा विज्ञान - सिन्धु सभ्यता के निवासी विभिन्न औषधियों से परिचित थे, तथा हिरण, बारहसिंघे के सीगों, नीम की पत्तियों एवं शिलाजीत का औषधियों की तरह प्रयोग करते थे, उल्लेखनीय है कि सिन्धु सभ्यता में खोपड़ी की शल्य चिकित्सा के उदाहरण भी काली, बंगा एवं लोथल से प्राप्त होते है समुद्र फेन (झाग) भी औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता था।

हड़प्पा सभ्यता का आर्थिक जीवन

1. कृषि - हड़प्पा युग में सिन्धु नदी में बाढ़ आती थी जाे भूमि को और अधिक उपजाऊ बना देती थी सिन्धु घाटी के लोग बाढ़ से उपजाऊ भूमि में नवम्बर के महीने में गेहू और जौ की बोआइर् करते थे आरै अपनी फसल अपै्रल के महीने में बाढ़ आने के पहले काट लते थे खोदाई में कोई हल या फावड़ा नहीं मिला है, किन्तु कालीबंगन में पूर्व हड़प्पा अवधि के खेती बाड़ी के लिए उपयुक्त खेतों के अवशेष मिले है खेत में समकोण पर बनी क्यारियां मिली है जिससे पता चलता है कि खेत में एक समय में दो फसलें लगाना सम्भव था सम्भवत: हड़प्पा के लोग लकड़ी के बने हल का उपयोग करते थे इस के प्रमाण नहीं है कि हल को मानव या बैल खींचता था शायद पत्थर की दराती से फसलें काटी जाती थी ऐसा प्रतीत होता है कि नहरों द्वारा सिंचाई का प्रचलन नहीं था हड़प्पा की मुख्य फसलें थी गेहूं, जौ, कपास, तिल इनका भण्डारण विशाल धान्य कोठरियों में किया जता था बाढ़ के पानी का उपयोग खेतों की सिंचाई के लिए किया जाता था

2. पशुपालन - अन्य प्रमुख व्यवसाय पशुपालन का था बैल, गाय, सूअर तथा कुत्ताे के अस्थि-पंजर प्रचुर मात्रा में प्राप्त हुए है अत: वे पशु अवश्य पालते थे गाय और भैंस का दूध प्रयोग किया जाता था

3. व्यापार - इस घाटी के निवासी आन्तरिक तथा विदेशी दानेाे प्रकार के व्यापार करते थे सोना कोलार तथा अनन्तपुर की खानों से आता था कुछ विद्वानों के अनुसार चांदी और रांगा अफगानिस्तान से आयात किये जाते थे तांबा और सीसा राजपूताना, बिलोचिस्तान और ईरान से मंगाया जाता था

4. कुटीर उद्योग - प्रमुखत: कुम्हारों के द्वारा चाक से निर्मित मिट्टी की मूिर्तयां, खिलौने, बर्तनों के अतिरिक्त ईटो का बड़े पैमाने पर निर्माण किया जाता था चांदी के कलश पर सूत पर लिपटा हुआ कपड़ा मिला है जिससे यह ज्ञात होता है कि यहां के निवासी सूत कातने आरै कपडा़ बुनने का व्यवसाय भी करते थे कुछ मिटटी की तकलियां प्राप्त हुई है ऊनी वस्त्र भी बुनकर तैयार किये जाते थे कुम्हार विभिन्न मिट्टी की वस्तुएँ तैयार करके अपनी जीविका चलाते थे खिलौनों, मूर्तियों, कटोरियों, प्यालियों, मटकों का निर्माण किया जाता था सीप तथा हाथीदांत के आभूषण तैयार होते थे

5. मापतौल बाट - तालै के लिए तराजू बाट प्रचलित थे नापने के लिये स्केल का प्रयोग करते थे जो सीप का बना होता था चिकने पत्थरों से बाट बनाया जाता था कई ऐसे पत्थर प्राप्त हुये जिनसे पता चलता है कि ढाव उसके गुणओं का प्रयोग होता था

हड़प्पा सभ्यता का कला का विकास-

1. मूर्तिकला या प्रतिमाएं - हडप़्पा सभ्यता के लोग धातु की सुन्दर प्रतिमाएं बनाते थे इनका सबसे सुन्दर नमूना कांसे की बनी एक नर्तकी की मूर्ति है खुदाई में सेलखड़ी की बनी एक दाढ़ी वाले पुरूष की एक अर्ध प्रतिमा प्राप्त हुई है उस के बांये कन्धे से दांये हाथ के नीचे तक एक अलंकृत दुशाला और माथे पर सरबन्ध है पत्थर की बनी हुई दो पुरूषों की प्रतिमाए हड़प्पा की लघु मूर्तिकला का उदाहरण है

2. चित्रकला - अनेक बर्तनों तथा मोहरो पर बने चित्रों से ज्ञात होता है कि सिन्धु घाटी के लोग चित्रकला में अत्यधिक प्रवीण थे मुहरो पर सांडो और भैंसो की सर्वाधिक कलापूर्ण ढंग से चित्रकारी की गई है वृक्षों के भी चित्र बनाये गये है

3. मुद्रा कला - हड़प्पा की खुदाई में विभिन्न प्रकार की मुद्रायें मिली है ये मुद्रायें वर्गाकार आकृति की है जिन पर एक ओर पशुओं के चित्र बने है तथा दूसरी ओर लेख है ये हांथी दांत मिट्टी के लगभग 3600 मुहरे प्राप्त हुई है 

4. धातु कला - सिन्धु सभ्यता की कलाओं में धातु कला जिसमें विशेष स्वर्ण कला का उल्लेख मिलता है यहां के सोनारों द्वारा गलाई, ढलाई, नक्कासी जोड़ने आदि का कार्य किया जाता था सिन्धु काल की कलाकृतियां इतनी विलक्षण और मनोहर है कि ऐसी कारीगरी पर आज का सुनार भी गर्व कर सकता है

5 पात्र निर्माण कला - खुदाई में अनेक ताम्र एवं मिट्टी के पात्र मिले है जो बहुत सुन्दर एवं उच्च कोटि के है यह वर्गाकार, आयताकार, गोलाकार में मिले है ये पानी भरने एवं अनाज रखने के काम आते थे

6. ताम्र्रपात्र निर्माण कला - खुदाई में अनेक ताबें के पात्र मिले है ये वर्गाकार, आयताकार में है जिसमें चित्रकारी है

7. वस्त्र निर्माण कला - सिन्धु सभ्यता की खुदाई की गइर् तो तकलियॉ प्राप्त हुई है जिनसे सूत कातने के काम में भी यहां के निवासी निपुण थे

8. नृत्य तथा संगीत कला - इस बात के भी प्रमाण हैं कि सिन्धुवासी नृत्य तथा संगीत से परिचित थे पहले हम कांसे की बनी एक नर्तकी की मूर्ति का उल्लेख कर आये है इससे स्पष्ट है कि सिन्धु प्रदेश में नृत्य कला का प्रचार था इस मूर्ति की भावभंगिमा वैसी ही हृदयग्राही है जैसी कि ऐतिहासिक युग की मूर्तियों में देखने को मिलती है बर्तनों पर कुछ ऐसे चित्र मिले हैं जो ढोल और तबले से मिलते-जुलते हैं अनुमान है कि सिन्धुवासी वाद्ययन्त्र भी बनाना जानते थे

हड़प्पा की मुहर

हड़प्पा सभ्यता की लिपि या लेखन कला

मेसोपोटामिया के निवासियों की तरह हड़प्पा वासियों ने भी लेखन कला का विकास किया यद्यपि इस लिपि के पहले नमूने 1853 में प्राप्त हुये थे पर अभी तक विद्वान इसका अर्थ नहीं निकाल पाए हैं कुछ विद्वानों ने तो इसे पढ़ने के लिए कम्प्यूटर का भी उपयोग किया पर वह भी असफल हैं इस लिपि का द्रविड़, संस्कृत या सुमेर की भाषाओं से संबंध स्थापित करने के प्रयत्नों का भी कोई संतोषजनक परिणाम नहीं निकला है हड़प्पा की लिपि को चित्र लिपि माना जाता है इस लिपि में हर अक्षर एक चित्र के रूप में किसी ध्वनी, विचार या वस्तु का प्रतीक होता है लगभग 400 ऐसे चित्रलेख देखने में आये हैं। यह लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है अत: हम हड़प्पा संस्कृति के साहित्य, विचारों या शासन व्यवस्था के विषय में अधिक नहीं कह सकते हैं पढ़ना लिखना शायद एक वर्ग तक सीमित था

इन्हें भी पढ़ें:-

             1)सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल

            2हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना 

           3) हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं/जीवन

           4) सिंधु या हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण

           5) पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं & pdf download

           6) प्रागैतिहासिक काल (Prehistory in Hindi)

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