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हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना

 

हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना

हड़प्पा संस्कृति की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी- इसकी नगर योजना। इस सभ्यता के महत्त्वपूर्ण स्थलों के नगर निर्माण में समरूपता थी। नगरों के भवनो के बारे में विशिष्ट बात यह थी कि ये जाल की तरह विन्यस्त थे।हड़प्पा सभ्यता के नगर जाल की तरह विन्यस्त थे। प्राप्त नगरों के अवशेषों से पूर्व और पश्चिम दिशा में दो टीले मिले हैं। पश्चिमी टीले अपेक्षाकृत ऊँचे किन्तु छोटे हैं। सम्भवतः इन टीलों पर किले या दुर्ग स्थित थे। पूर्वी टीले पर नगर या आवास क्षेत्र के साक्ष्य मिलते हैं। यह टीला अपेक्षाकृत बड़ा है। इसमें सामान्य नागरिक, व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक रहते थे। दुर्ग के अन्दर मुख्यतः प्रशासनिक और सार्वजनिक भवन तथा अन्नागार स्थित थे।

1. सड़कें- मोहनजोदड़ो में एक सड़क मुख्य नगर के बीच में होकर उत्तर से दक्षिण को जाती थी और एक अन्य सड़क पश्चिम को जाती थी । इन मुख्य सड़कों के समानान्तर छोटीछोटी सड़कें थीं । इन सड़कों को गलियों के द्वारा नगर के सभी भागों से जोड़ दिया गया था । इस प्रकार सारा नगर वर्गाकार अर्थात आयताकार खण्डों में बँटा हुआ था ।

2. सार्वजनिक स्नानागार- मोहनजोदड़ो की खुदाई से एक विशाल स्नानागार भी प्राप्त हुआ है । यह विशाल स्नानागार एक विशाल भवन के मध्य में स्थित है । स्नानागार का जलाशय आयताकार है। यह 39 फीट चौड़ा व 8 फीट गहरा है । इसके प्रत्येक ओर जल तक पहुँचने के लिए ईंटों की सीढ़ियाँ हैं । जलाशय की दीवार व फर्श पक्की ईंटों का बना हुआ है । जलाशय से जल निकास की समुचित व्यवस्था की गई थी । जलाशय के चारों ओर है तथा इनके पीछे कमरे बने हुए हैं।

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हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना


3. भवन निर्माण- भवनों का निर्माण निश्चित योजना के अनुसार किया गया था । मोहन जोदड़ो में आज से पाँच हजार वर्षों की पक्की ईंटों के बने हुए छोटे और बड़े मकान मिले हैं । ये मकान गलियों तथ सड़कों के किनारे बने हुए थे । सभी मकान निवास की सुविधा तथा सफाई की व्यवस्था को ध्यान में रखकर बनाये गये थे। मकानों में आँगन, रोशनदान, कुआँ, स्नानागार होता था ।

4. सार्वजनिक भवन- सिन्धु सभ्यता में साधारण भवनों के अतिरिक्त यहाँ पर सार्वजनिक एवं राजकीय भवन भी थे । मोहनजोदड़ो में एक विशाल भवन के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो लगभग 70 मीटर लम्बा व 24 मीटर चौड़ा है, इस भवन की दीवारें 1.50 मीटर मोटी है । इस विशाल भवन में अनेक कमरे, भण्डारगार व दो आँगन है । मोहनजोदड़ों में इसी प्रकार का एक अन्य विशाल भवन और प्राप्त हुआ है, जो 71 मीटर लम्बा और इतना ही चौड़ा है । इसकी छत 20 स्तम्भों के ऊपर टिकी हुई थी। ऐसा अनुमान किया जाता है कि यह भवन सार्वजनिक सभा या धर्मचर्चा आदि के लिए बनाया गया होगा ।

5.अन्न-भण्डारागार- हड़प्पा की खुदाई में एक विशाल अन्न-भण्डारागार के अवशेष मिले हैं । यह अन्नागार उत्तर से दक्षिण की ओर 50 मीटर 70 सेमी. लम्बा, 16 मीटर 80 सेमी. चौड़ा है । इसमें अनाज को सुरक्षित रखा जाता था । यह अन्न भण्डारागार हड़प्पा में राजमार्ग के दोनों ओर 1.25 मीटर ऊँचे चबूतरों पर छह-छह की पंक्तियों में बने हुए हैं ।

6. नगरों की सफाई व्यवस्था- सिन्धु सभ्यता के नगरों की सफाई व्यवस्था उच्च कोटि की थी । सड़कों के कोनों पर कूड़ाकरकट एकत्रित करने के लिए बड़े-बड़े बर्तन रखे जाते थे । मकानों का पानी बाहर निकालने के लिए नालियाँ थीं। मकानों की नालियाँ गली की नालियों में, गलियों की नालियाँ बाजार की बड़ी नालियों में और बाजार की बड़ी नालियाँ भूमिगत नाली से जुड़ी हुई थीं और इस प्रकार मल बाहर चला जाता था।


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