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बौद्ध धर्म या महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं(teachings of mahatma buddha in hindi)

 

बौद्ध धर्म या महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं(teachings of mahatma buddha in hindi)

बौद्ध धर्म या महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं  निम्नलिखित हैं: -

1.बौद्ध धर्म के मूल शिक्षाओं के रूप में चार आर्य सत्य निम्नलिखित हैं: -

i) दुनिया दुःख और कष्टों से भरी है।

ii) सभी पीड़ाओं का एक कारण (समुदाय) हैं जो ईच्छा (तृष्णा) है।

iii) दर्द और दुःख का अंत इच्छाओं के छुटकारा मिलने से किया जा सकता है (निरोध)।

iv) तृष्णा को अष्टांगिक मार्ग के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

2.अष्टांग मार्ग नीचे निम्नलिखित हैं:

i) सम्यक विचार                ii) सम्यक विश्वास                            iii) सम्यक वाक

iv) सम्यक कर्म                  v) सम्यक जीविका                           vi) सम्यक प्रयास

vii) सम्यक स्मृति             viii) सम्यक समाधि

अष्टांग मार्गों में तीन बुनियादी श्रेणियां शामिल हैं जिनके नाम एकाग्रता (समाधि स्कंद), ज्ञान (प्रज्ञा स्कंद) और नैतिक आचरण (शील स्कंद) है। समाधि स्कंद के अंतर्गत सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि आते हैं जबकि सम्यक वाक, सम्यक जीविका और सम्यक प्रयास शील स्कंद के अंतर्गत विभाजित हैं। प्रज्ञा स्कंद में सम्यक विचार, सम्यक कर्म और सम्यक विश्वास शामिल हैं।


बौद्ध धर्म में बताया गया है कि निर्वाण के द्वारा मृत्यु और जन्म के चक्र से छुटकारा मिल सकता है।  बौद्ध धर्म के अनुसार, इसे आप जीवन भर हासिल कर सकते हैं और मृत्यु के बाद नहीं। हालांकि, यह मोक्ष की अवधारणा से इनकार करता है और आचरण के नैतिक मूल्यों को प्राप्त करने के लिए आचरण की नैतिक आचार- संहिता की जरूरत पर बल देता है।

3) अहिंसा में विश्वास-  अहिंसा बौद्ध धर्म का मुख्य सिद्धांत है। इसका अर्थ है जीव हत्या का विरोध। उपदेश प्रचार में महात्मा बुध से भी अधिक आगे चले गए थे। महात्मा बुद्ध ने तो केवल मनुष्य तथा पशु हत्या की ही मनाई की थी, परंतु महात्मा बुद्ध वृक्षों पौधों तथा जड़धारी वस्तुओं को कष्ट देना भी बात समझते थे।

 4) कर्म सिद्धांत-  महात्मा बुद्ध कर्म सिद्धांत को मानते थे। इस सिद्धांत के अनुसार मनुष्य के जीवन में किए गए अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार ही उसकी मृत्यु के पश्चात उसका नया जीवन निर्धारित होता है।

5) नारियों के स्वतंत्रता पर बल- महात्मा बुद्ध ने नारियों की समानता तथा स्वतंत्रता पर बल दिया। उन्होंने अपने संघ के द्वारा नारियों के लिए खोल दिए।  उन्होंने घोषित किया कि पुरुषों की भांति नारियां भी निर्माण की अधिकारी है।

6) पुनर्जन्म का सिद्धांत-  मनुष्य को अपने कर्मों के कारण बार-बार जन्म लेना पड़ता है। कर्म और पुनर्जन्म का सिद्धांत साथ साथ चलता है। बौद्ध धर्म के अनुसार कर्मों के फल से बचने का कोई उपाय नहीं है। मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य मिलता है। व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्कर से बचने के लिए शुद्ध कर्म करना चाहिए।

7) नैतिकता पर बलमहात्मा बुद्ध ने लोगों को उच्च नैतिक जीवन जीने की शिक्षा दी।  उन्होंने अपने शिष्यों को बताया कि उन्हें सभी मनुष्य से प्रेम करना चाहिए अहिंसा का पालन करना चाहिए सदा सत्य बोलना चाहिए और सब संयम पूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए।

2) निषेधात्मक सिद्धांत

(i)  ईश्वर में अविश्वास

(ii) यज्ञ और बली में अविश्वास

(iii) संस्कृत भाषा तथा वेदों में अविश्वास

(iv) जाति प्रथा में अविश्वास

 

 

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